" पेचीदगियां..... " मेरी बातों में तेरा जिक्र आना, तेरी यादों में मेरी फिक्र आना, किसी जवाब सा मालूम पड़ता हैं.... किसी तस्वीर को तेरा गले लगाना, कभी तस्वीरों में दूर चले जाना, किसी मज़ाक सा मालूम पड़ता हैं.... दिन के तीनों पहर ठहाके लगाना, फिर स्याह रात में छुपके आँसू बहाना, किसी अज़ाब सा मालूम पड़ता हैं.... उन हर वजहों को वाज़िब बताना, यूँ मासूमियत से मुझें मुज़रिम ठहराना, किसी खेल सा मालूम पड़ता हैं.... वक़्त की शक़्ल में चेहरे बदलना, भीड़ की ख़ामोशी में चीख़ते रहना, किसी हुनर सा मालूम पड़ता हैं.... मेरी बातों में तेरा जिक्र आना, तेरी यादों में मेरी फिक्र आना, किसी जवाब सा मालूम पड़ता हैं....!! " पेचीदगियां..... " #complexlife #nojoto