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तुझे सुबह लिख रहा हूँ, तुझे शाम लिख रहा हूँ । तु

तुझे सुबह लिख रहा हूँ,   तुझे शाम लिख रहा हूँ ।
तुझे ख़्वाहिशें मैं अपनी,  तमाम लिख रहा हूँ।।
कभी लिखता हूँ खुशियाँ,  तो कभी ग़म की बातें।
जो हासिल न हुआ,  तुझे वो मुकाम लिख रहा हूँ।।
तूं ही है मंजिल  और तूं ही जुस्तजू।
सफ़र-ऐ-जिंदगी का एक नया,  आयाम लिख रहा हूँ।
मुतासिर हुआ यूँ,  तेरे इश्क का।
 तुझे ही ख़ुदा और  भगवान लिख रहा हूँ ।।
  हुआ यूँ मुराद मैं , तेरी उलफ़त में ।
हर सपनों को अब मैं,  इम्कान लिख रहा हूँ।
लोग तो कहेंगे ,  मैंने महज़ शब्दों को है पिरोया।
पर मैं दरअसल तेरे नाम एक, पयाम लिख रहा हूँ ।।

©P Prashun Mishra #meri_kalam_se 
#Meri_Manzil 
#meri_khusiya
#mera_gum 

#my__saayari 
#My_Words✍✍ 
#my_love
तुझे सुबह लिख रहा हूँ,   तुझे शाम लिख रहा हूँ ।
तुझे ख़्वाहिशें मैं अपनी,  तमाम लिख रहा हूँ।।
कभी लिखता हूँ खुशियाँ,  तो कभी ग़म की बातें।
जो हासिल न हुआ,  तुझे वो मुकाम लिख रहा हूँ।।
तूं ही है मंजिल  और तूं ही जुस्तजू।
सफ़र-ऐ-जिंदगी का एक नया,  आयाम लिख रहा हूँ।
मुतासिर हुआ यूँ,  तेरे इश्क का।
 तुझे ही ख़ुदा और  भगवान लिख रहा हूँ ।।
  हुआ यूँ मुराद मैं , तेरी उलफ़त में ।
हर सपनों को अब मैं,  इम्कान लिख रहा हूँ।
लोग तो कहेंगे ,  मैंने महज़ शब्दों को है पिरोया।
पर मैं दरअसल तेरे नाम एक, पयाम लिख रहा हूँ ।।

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