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जिंदगी तमाशा जिंदगी क्यों सदा तू सताती रही, यूं

जिंदगी तमाशा


जिंदगी क्यों सदा तू सताती रही,
यूं हमे क्यों बता आजमाती रही।

आज बेआबरू फिर से बेटी हुई,
चीखने की वो आवाज आती रही।

ये तमाशा सभी देखते है तभी,
लाज नारी सदा ही गंवाती रही।

फर्ज़ इंसा सही से निभाता नही,
ये मेरी दिल से आवाज आती रही।

रोज इच्छा मेरी मैं दबाती रही,
तू रूठा दिल रहा,मैं मनाती रही।

दूर था मेरा प्यार कल शाम से,
रात भर चांदनी दिल जलाती रही।

रोज करती मुलाकात थी ये नज़र,
रात धड़कन सनम से मिलाती रही।

बेवफ़ा जब जमाना हुआ था सनम,
तब तेरी ही वफ़ा सच जलाती रही।

जब नही था उजाला तेरी राह में,
ओ सोमा दीप क्यों तू जलाती रही।

©soma mitra #बेटी 
#बेटीयां 
#googleshayari 
#googlesearch 
#GOOGLE_SEARCH 
#somamitra
जिंदगी तमाशा


जिंदगी क्यों सदा तू सताती रही,
यूं हमे क्यों बता आजमाती रही।

आज बेआबरू फिर से बेटी हुई,
चीखने की वो आवाज आती रही।

ये तमाशा सभी देखते है तभी,
लाज नारी सदा ही गंवाती रही।

फर्ज़ इंसा सही से निभाता नही,
ये मेरी दिल से आवाज आती रही।

रोज इच्छा मेरी मैं दबाती रही,
तू रूठा दिल रहा,मैं मनाती रही।

दूर था मेरा प्यार कल शाम से,
रात भर चांदनी दिल जलाती रही।

रोज करती मुलाकात थी ये नज़र,
रात धड़कन सनम से मिलाती रही।

बेवफ़ा जब जमाना हुआ था सनम,
तब तेरी ही वफ़ा सच जलाती रही।

जब नही था उजाला तेरी राह में,
ओ सोमा दीप क्यों तू जलाती रही।

©soma mitra #बेटी 
#बेटीयां 
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