किसने कहा मुश्किल है ज़िंदगी ख़ुदा की बेशकीमती इनायत है ज़िंदगी सफ़र-ए-ज़िंदगी कभी मुश्किल होता ज़रूर है पर मज़ा भी तो हार के बाद जीत का देती है ज़िंदगी गिले-शिकवे भरे हों मन में तो दोजख़ है ज़िंदगी ज़िंदादिली से जियो तो जन्नत से कम नहीं है ज़िंदगी मैं,मेरा में बँटी हो तो कठिन से कठिनतर है ज़िंदगी हम,हमारा से मिलकर बनी हो तो सरलतर है ज़िंदगी! 🌹 🎀 Challenge-248 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 8 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए।