अनजाना हूं...अनजानी तू, लफ्जो की हो..अा गुफ्तगू राहें चल पड़ी,संग तू भी चल,साथी तू जैसे,गुल संग खुशबू थमे जो कहीं..बने रात वो,चांद के तले..आशियाना हो गुलाबी फिर सुभा..हो मिलने को अनजाना हूं...अनजानी तू, लफ्जो की हो..अा गुफ्तगू गीत है सफ़र का..सरगम हे तु,छेड के तराना..राग में बनू गाता चले मन.. गाए हर मौसम अनजाना हूं...अनजानी तू, लफ्जो की हो..अा गुफ्तगू बूंदे बरसाए.. बादल में बनू,ले कर फिजाएं..तू रंग जोड़ यूं बारिशे बने ..तूज संग भीग लू अनजाना हूं...अनजानी तू, लफ्जो की हो..अा गुफ्तगू #alone #अनजाना#अनजानी