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मै ऐक किशान हु जो धरतीका सिना चिरकर फसलो को‌ उगाता

मै ऐक किशान हु जो धरतीका सिना चिरकर फसलो को‌ उगाता हु मै अपने कंधो से हल चलाकर जमीको सिंचता हु हा मै‌ किसान हु मै पैटभर खाना सबको खिलाता हु हा मै वो किसान हु जो पसीनेसे इस मिट्टी कि प्यास बुझाता हु मै वहि किसान हु बारिस के लिये तरस्ता हु हा मै वहि किसान हु रातदिन जागकर फसलोकी रखवाली करता हु

©Dilavar Belim #Easter
मै ऐक किशान हु जो धरतीका सिना चिरकर फसलो को‌ उगाता हु मै अपने कंधो से हल चलाकर जमीको सिंचता हु हा मै‌ किसान हु मै पैटभर खाना सबको खिलाता हु हा मै वो किसान हु जो पसीनेसे इस मिट्टी कि प्यास बुझाता हु मै वहि किसान हु बारिस के लिये तरस्ता हु हा मै वहि किसान हु रातदिन जागकर फसलोकी रखवाली करता हु

©Dilavar Belim #Easter