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वासना रहित चित्त में ही शान्ति का अनुभव सम्भव है।

वासना रहित चित्त में ही शान्ति का अनुभव सम्भव है। भगवान शान्त हैं पर उनके भक्त प्रशान्त हैं। भक्त जितेंद्रिय है इसलिए इन्द्रिय सुख की कामनाओं से रहित है और यह अप्राप्त होने पर उन्हें क्रोध नहीं आता।
भक्त अपने योग और क्षेम के लिए निश्चिन्त रहता है।
-पूज्य बापूजी #पूज्य #बापूजी
वासना रहित चित्त में ही शान्ति का अनुभव सम्भव है। भगवान शान्त हैं पर उनके भक्त प्रशान्त हैं। भक्त जितेंद्रिय है इसलिए इन्द्रिय सुख की कामनाओं से रहित है और यह अप्राप्त होने पर उन्हें क्रोध नहीं आता।
भक्त अपने योग और क्षेम के लिए निश्चिन्त रहता है।
-पूज्य बापूजी #पूज्य #बापूजी