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दे रहे हो तो मुझको नया ज़ख़्म दो, मैं शज़र हूँ मुझे त

दे रहे हो तो मुझको नया ज़ख़्म दो,
मैं शज़र हूँ मुझे तुम हरा ज़ख़्म दो...

कुछ इज़ाफ़ा करो तुम मिरे दर्द में,
अबके दो तो मुझे दूसरा ज़ख़्म दो...

उम्र भर मैं तड़पता रहूँ दर्द में,
सो मुझे इस दफ़ा लादवा ज़ख़्म दो...

काम बनता नहीं मुख़्तसर ज़ख़्म से,
अब अगर दो तो कोई बड़ा ज़ख़्म दो...

फूल जैसा नहीं है हमारा ये दिल,
हम हैं पत्थर हमें बारहा ज़ख़्म दो... by Sheikh Aasif 

#meri_amanat_
दे रहे हो तो मुझको नया ज़ख़्म दो,
मैं शज़र हूँ मुझे तुम हरा ज़ख़्म दो...

कुछ इज़ाफ़ा करो तुम मिरे दर्द में,
अबके दो तो मुझे दूसरा ज़ख़्म दो...

उम्र भर मैं तड़पता रहूँ दर्द में,
सो मुझे इस दफ़ा लादवा ज़ख़्म दो...

काम बनता नहीं मुख़्तसर ज़ख़्म से,
अब अगर दो तो कोई बड़ा ज़ख़्म दो...

फूल जैसा नहीं है हमारा ये दिल,
हम हैं पत्थर हमें बारहा ज़ख़्म दो... by Sheikh Aasif 

#meri_amanat_
aastha1111785363451

Aastha

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