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फिर से उस इश्क को जीना है जिसमें कभी मरने की कसमें

फिर से उस इश्क को जीना है
जिसमें कभी मरने की कसमें खाई थी
फिर से उन गलियों से गुजरना है
जिन राहों पर तुमसे नज़रे टकराई थी
फिर से दिल लगाने की ज़हमते करनी है
जिस दिल्लगी मे सिर्फ रूसवाई थी
फिर से तुम्हारा साथ पाना है
जिसमें सिर्फ तन्हाई थी
फिर से थामना है उन हाथों को
जिन लकीरों मे सिर्फ बेवफाई थी
फिर से वो बातें करनी है
जिनको सुन के तुम मुस्कुराई थी
पर छोड़ो जाने दो
कौन फिर से इतनी मेहनत करे
कौन दिल लगाए कौन मोहब्बत करे
चलो जाने दो
फिर किसी रोज ये दास्तान मुकम्मल करेंगे
फिर किसी जोया की कहानी मे कुंदन बनेंगे

©Sam
  #phir se
samedatt2026

Sam

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#Phir se #Poetry

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