शहर के बंद मकानों में.. ये डिब्बों कैद खानों में.. एक फ्लैट में सुंदर आशियाना सजाया है.. तो फिर क्यों तुझे अपना वो पिछड़ा गांव याद आया है.. जिसे रोजगार की होड़ में तू अलविदा कह आया है.. तेरे गांव की बंजर भूमि पल पल गुहार लगाती है.. तड़प रही वो अन्य जल को.. बस तुझसे ही आस लगाती है..