आज फिर वही यादों का पिटारा खुल गया, जब न थी शिकायतें,न शिकवा किसी से,, दुनिया के भीड़ में अनजान थे हम.. न लोगों की चालाकी समझ आती थी, न लोगो का छलावा,, न कोई ठगता था,, न कोई परेशान करता था,, मस्त रहते थे अपने धुन में,, कागज के नाव चलाते थे पानी मे,, आज फिर वही यादों का पिटारा खुल गया,, शोर मचाते थे दिन भर कोई कुछ कहता भी नहीं था,, आज फिर वही बचपन के यादों का पिटारा खुल गया,, बेखबर थे दुनिया के भीड़ में हम,, न कोई दोस्त था न दुश्मन,, मौज करते थे हम अपनी दुनिया मे बेखबर,, आज फिर वही बचपन का पिटारा खुल गया।। ---कोमल---- #NojotoQuote #बचपन #बितेदिन #यादें