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भाग-1 अनुशीर्षक-खुशी रश्मि एक अवचेतन स्त्री थी, उस

भाग-1
अनुशीर्षक-खुशी
रश्मि एक अवचेतन स्त्री थी,
उसकी दुनिया बहुत ही खूबसूरत हुआ करती थी
पढ़ाई में अव्वल,तो कभी मन की बात लिखने में अव्वल..
मगर वह किसी परेशानी में डूबी हुई थी
जिसका कारण क्या है उसे खुद  पता नहीं...
एक ओर परेशानियों ने उसे कठपुतली बना दिया था
तो दूसरी ओर रस्मी कठपुतली बन दुनिया के हिसाब से जीने लगी 
जीवन के इस भाग दौड़ में बनी एक कठपुतली 
जो जानती नहीं कि क्यू वो कठपुतली बने बैठी है
बहुत कोशिश करती हर काम को करने में 
जिसमें उसे खुशी मिले मगर वो नाकाम रही
(कारण उसे खुद  पता नहीं) 
दुनिया देख जीने लगी और उसी कि ओर जाने लगी 
ना मंजिल का पता ना खुशी का पता
बस चलते जा रही थी कठपुतली की तरह 
(कारण उसे खुद नहीं पता)
रश्मि हर वक्त खुद को कोसती और रोती रही 
ये सोच कर कि काश पुराने दिन को 
और भी खूबसूरत बना सकती, यादें संजो पाती..
रश्मि कि कहानी में कमी थी तो बस खुशी की ....
जिसे वो समझ ना सकी... भाग-1
अनुशीर्षक-खुशी
रश्मि एक अवचेतन स्त्री थी,
उसकी दुनिया बहुत ही खूबसूरत हुआ करती थी
पढ़ाई में अव्वल,तो कभी मन की बात लिखने में अव्वल..
मगर वह किसी परेशानी में डूबी हुई थी
जिसका कारण क्या है उसे खुद  पता नहीं...
एक ओर परेशानियों ने उसे कठपुतली बना दिया था
भाग-1
अनुशीर्षक-खुशी
रश्मि एक अवचेतन स्त्री थी,
उसकी दुनिया बहुत ही खूबसूरत हुआ करती थी
पढ़ाई में अव्वल,तो कभी मन की बात लिखने में अव्वल..
मगर वह किसी परेशानी में डूबी हुई थी
जिसका कारण क्या है उसे खुद  पता नहीं...
एक ओर परेशानियों ने उसे कठपुतली बना दिया था
तो दूसरी ओर रस्मी कठपुतली बन दुनिया के हिसाब से जीने लगी 
जीवन के इस भाग दौड़ में बनी एक कठपुतली 
जो जानती नहीं कि क्यू वो कठपुतली बने बैठी है
बहुत कोशिश करती हर काम को करने में 
जिसमें उसे खुशी मिले मगर वो नाकाम रही
(कारण उसे खुद  पता नहीं) 
दुनिया देख जीने लगी और उसी कि ओर जाने लगी 
ना मंजिल का पता ना खुशी का पता
बस चलते जा रही थी कठपुतली की तरह 
(कारण उसे खुद नहीं पता)
रश्मि हर वक्त खुद को कोसती और रोती रही 
ये सोच कर कि काश पुराने दिन को 
और भी खूबसूरत बना सकती, यादें संजो पाती..
रश्मि कि कहानी में कमी थी तो बस खुशी की ....
जिसे वो समझ ना सकी... भाग-1
अनुशीर्षक-खुशी
रश्मि एक अवचेतन स्त्री थी,
उसकी दुनिया बहुत ही खूबसूरत हुआ करती थी
पढ़ाई में अव्वल,तो कभी मन की बात लिखने में अव्वल..
मगर वह किसी परेशानी में डूबी हुई थी
जिसका कारण क्या है उसे खुद  पता नहीं...
एक ओर परेशानियों ने उसे कठपुतली बना दिया था
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