जहा हसना बोलना गाना उठना चलना सीखा था, उस आंगन को छोड़ चल पड़ी थी.... जिसके हँसी से पूरा घर महक उठता था उस घर को वो छोड़ चल पड़ी थी.... जिन हाथो ने दुनिया मे जीना और रहना चलना सिखाया, बाबुल का वो दामन छोड़ चल पड़ी थी... जिस मासूम चेहरे को देखके दिल खुश और होठो पे मुस्कान आ जाती थी उस चेहरे को घूंघट से ढक के वो हमे छोड़ चल पड़ी थी.... #mithlesh.... ©k.mithlesh #warrior