ये जो बेनाम सा रिश्ता है, इसे कोई नाम दे दो। मेरी भटकती ख़्वाहिशों को, कोई मुकाम दे दो। बहुत बेचैन रहता हूँ मैं, आजकल तुम्हारे बिना। सुकूँ मिल जाये दिल को, ऐसा कोई पैगाम दे दो। तेरी सूरत-ए-खास के सिवा कुछ नहीं पसंद मुझे। मेरी आँखों को इनके दीदार का ही काम दे दो। जाने क्यूँ मेरे होंठों की प्यास बुझती ही नहीं अब। अपने लबों से मेरे होंठों को आज एक जाम दे दो। "साहिल" को वफ़ा की तलाश है तुममें सनम। हमारी मोहब्बत को अब एक हँसी अंजाम दे दो। ♥️ Challenge-712 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।