ए-जिन्दगी कुछ नया करते है थोड़ा तू बदल,थोड़ा हम बदलते है कटी पतंग की उड़ान फिर से भरते है उम्मीद जो दूजो से की,आज खुद से करते है ए-जिन्दगी कुछ नया करते है जंहा से,खुद को गुमनाम करते है सपनो की वो डोर,एक बार फिर पकड़ते है अरमान की वो पतंग लहराकर आसमां में उस सपने को हकीकत करते है ए-जिंदगी कुछ नया करते हैं ©Neha Bhargava (karishma) #arman