जंग में महज जानें नहीं जाती , जान निकलने से पहले खौफ में सिमट जाते हैं बचपन,बुढ़ापा और जवानी एक साथ एक वक्त में, बिखरते हैं ढ़ेरों सपनें, वर्षों की सजायी उम्मीदें, उधड़ कर तार तार होते हैं यादों के गलीचे, खून बहने से पहले बह जाती हैं चाहतें आँसुओ में, ममता और वातसल्य की बारिश, घर उजड़ने से पहले उजड़ते हैं आने वाले कल के सपने, ©Dr. sanyogita Sharma #ukraine #Rose