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पिता हो ,तुम फिर क्यों पीता।। पिता हो,तुम फिर क्

पिता हो ,तुम

फिर क्यों पीता।।
पिता हो,तुम

फिर क्यों, पिटा।।
मासूम सी जिंदगी 
की मासूम ख्वाब 
तुम मुकम्मल करते काश!!
बचपन की सुनहरी
पन्नों पर अपनी 
भी कोई दास्तां 
होती ,अगर
पिता का फर्ज़,
निभा पाते ,काश तुम!!!
asdf वीरान बचपन के अधूरे सपने
पिता हो ,तुम

फिर क्यों पीता।।
पिता हो,तुम

फिर क्यों, पिटा।।
मासूम सी जिंदगी 
की मासूम ख्वाब 
तुम मुकम्मल करते काश!!
बचपन की सुनहरी
पन्नों पर अपनी 
भी कोई दास्तां 
होती ,अगर
पिता का फर्ज़,
निभा पाते ,काश तुम!!!
asdf वीरान बचपन के अधूरे सपने