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हमारे यार की अदा निराली है। वो बहुत गोरी तो नही सा

हमारे यार की अदा निराली है।
वो बहुत गोरी तो नही सांवाली है।

गर्दन उसकी जैसे कोई सुराही
और आंखें मय से भरी प्याली है।

उन्हें इक झलक देखना मुस्किल है।
रुख़-ए-ज़माल पर रेशम की जाली है।

खिल रहा है उसका गुंचा-ए-बदन।
इस गुलिस्ते का ख़ुदा ख़ुद ही माली है।

करूं कैसे शूक्रियादा जय ख़ुदा का।
मुक़ाबिल उसके कोहिनूर मामूली है।

©mritunjay Vishwakarma "jaunpuri" #mjaivishwa
हमारे यार की अदा निराली है।
वो बहुत गोरी तो नही सांवाली है।

गर्दन उसकी जैसे कोई सुराही
और आंखें मय से भरी प्याली है।

उन्हें इक झलक देखना मुस्किल है।
रुख़-ए-ज़माल पर रेशम की जाली है।

खिल रहा है उसका गुंचा-ए-बदन।
इस गुलिस्ते का ख़ुदा ख़ुद ही माली है।

करूं कैसे शूक्रियादा जय ख़ुदा का।
मुक़ाबिल उसके कोहिनूर मामूली है।

©mritunjay Vishwakarma "jaunpuri" #mjaivishwa