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ख़्याल आता हैं, जगमग जैसे (तारें )ज़मीन पर आकर

ख़्याल आता हैं,
जगमग जैसे (तारें )ज़मीन पर आकर 
                    मानो मेरी झोली में आकर मुझसे 
लिपट जाने को बेचैन है,
पर यह कमबख्त (ज़ंजीरें)
मेरे ख़्यालो में भी मुझे (दर्द) ही दें रहीं हैं

©#Seema.k*_-sailent_*write@
  सच ही सच

सच ही सच #ज़िन्दगी

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