#OpenPoetry इस सावन में तो रखे -रखे अंडे से चूजा निकल आया ना जाने इस महीने का नामकरण किसने कर आया इस महीने में जीव जंतु पर खुद से अधिक प्रेम आया मांसाहारी को भी रोटी दाल सब्जी ,मन को भाया अंडे ,,मुर्गी ,और,बकरी का जीवन अधिक बढ़ आया सावन खत्म होते मुर्गी और बकरी सूली पर चढ़ाया यह बात सोच मुर्गा और बकरी को डर समाया । ना जाने कल किसकी बारी यह सोच रोना आया मुर्गा और बकरी का जीवन बढ़ गया ।