चाहतों का सफ़र हो मुक़म्मल मेरा। मुझको मंज़िल मिले रास्ता तू दिखा। ए ख़ुदा ए ख़ुदा तू है रहबर मेरा। मुझको मंज़िल मिले रास्ता तू दिखा। अब तलक़ ज़िस्म सहता रहा दूरियाँ। रूह सुनती नहीं पर यूँ मजबूरियाँ। ए ख़ुदा ए खुदा फ़ासला तू मिटा मुझको मंज़िल मिले रास्ता तू दिखा। ♥️ Challenge-953 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।