पत्र! सुनो मेरे, देश के धार्मिक और मज़हबी मजनुओं गर, फुरसत मिले ‘पत्र’ लिखने से अपने ‘धर्म’ के प्यार को। तो एक पत्र और लिख लेना, इस देश की सरकार को।। कुछ सवाल भी लिखना... भले ही तुम इस्तेमाल करो, अल्प,अर्ध और पूर्ण विराम का। भले ही आखिर में नाम लिखना ‘अल्लाह’ या श्री ‘राम’ का। पर तुम लिखना ज़रूर। तुम आज़ाद हो पूर्ण रूप से, पिश्चिम की ओर झुकने के लिए, और इंसानियत को अपने आगे झुकने के लिए। हां, कुछ भी करने के लिए, पत्थर को पूजने के लिए, और स्वयं पत्थर होकर, पत्थर से ही किसी को कूटने के लिए। तुम आज़ाद हो पूर्ण रूप से।। तुम सवाल करना... मीडिया चैनलो और अख़बार से, कि, बरग़लाना ज़रूरी है क्या? ख़ुद हकला-हकला कर, लोगो को डराना ज़रूरी है क्या?? तुम सवाल करना... चौक पर लाठी घुमाते संतरियो से, दंगो के वक़्त ये लाठी टूट जाती है क्या? सवाल करना झूठे वादो के मंत्रियों से, सरकार ना बनने पर इनकी अम्मा रूठ जाती है क्या?? कुछ सवाल करना... उन गुमानमो से, अपने जैसी आवामो से! कि, जीने के लिए ‘इंसानियत’ ज़रूरी है, या ‘ईर्ष्या’? ‘धर्म’ ज़रूरी है, या ‘मनुष्यता?? क्यूंकि, तुम ‘आज़ाद’ हो पूर्ण रूप से!! । हेमंत राय । 🙏 #Nojoto #कविता #हिन्दू #मुस्लिम #सरकार #पत्र #सरकार #के #नाम!