समान नागरिक संहिता के लिए सही समय शीर्षक से लेख में आलेख में ए सूर्य प्रकाश से समान नागरिक संहिता पर संविधान निर्माताओं की सोच को सामने लाया था विधानसभा में हुई बहस के आधार पर उन्होंने कहा है कि आजादी वित्त वर्ष में देश के काफी कुछ बदला गया लेकिन समान नागरिक संहिता के विषय में मुस्लिम नीतियों का चिंतन नहीं बदला यह बात उन्होंने संविधान सभा में मुस्लिम सदस्यों के तर्क के आधार पर का यह समान नागरिक संहिता के विरोध में जिस तरह की बातें तब कहीं गई थी वैसे ही आज मुस्लिम नेता कर रहे हैं यह भारत जैसे देश के लिए आज के समय उचित नहीं आ रही आपराधिक कानून के सब समान ही होता अगर विवाह पालन-पोषण दे तलाक उत्तराधिकारी आदि मामलों के लिए सभी के सभी लिए समान कानून लागू हो जाएंगे तभी देश में एकता की भावना बलवती होगी तभी सच्चे अर्थ में सभी नागरिक कानून के समक्ष समान होंगे अभी इन मामलों में हिंदुओं के अलग और मुस्लिम के लिए अलग-अलग कानून होने से समाज में भ्रम पैदा हो सकता है दोनों समुदाय के लोगों को लगता है कि वह एक दूसरे से भिन्न है यह भावना देश के लिए कठिन ठीक नहीं ©Ek villain #उचित सुझाव समान नागरिक संहिता में #patience