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"तुमको देखा" ऊजालो में मैंने कभी तुमको देखा । कभी

"तुमको देखा"

ऊजालो में मैंने कभी तुमको देखा ।
कभी सांझ ढलते किनारों पे देखा ।।
मेरे चांद की ऐ! हँसी चांदनी ।
अपने सनम को नज़ारों में देखा ।।


बारिश की रिमझिम फुहारों में देखा ।
पायल की छम छम, नदियों की कल कल
सातों सुरो के , सात छंदों में देखा ।।

नदियों में हर पल किनारों को देखा ।
जज्बातों में देखा ,खयालों में देखा
आंसुओं से डूबी, इन आखों में देखा ।।

सांस अटकी हो जब भी तेरे आस में ऐ! सनम
धड़कते हुवे तुम्हें अपनी धड़कन में देखा ।।

फूलों में देखा, सुगंधो में देखा ।
हवाओं में देखा, इन फिजाओं में देखा ।
उस सुन्दरता की मूरत को ।
हर कण, हर दम प्राणों में देखा ।।

©GANESH RAJBHAR
  "तुमको देखा"

"तुमको देखा" #कविता

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