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तुम्हारे दामन को मैंने अपने आँसुओं से भिगोया था, त

तुम्हारे दामन को मैंने अपने आँसुओं से भिगोया था,
तुम्हारे लिए न जाने कितनी बार फूट फूटकर रोया था।
मगर तुम इतने पत्थर दिल निकलोगे यह इल्म नहीं था,
मैंने तुम्हारे संग ज़िन्दगी बिताने का ख़्वाब संजोया था।

©Amit Singhal "Aseemit"
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