******गांँव के ईमली के बगईचा**** हमार गाँव में एगो, ईमली के बगईचा रहे। भर-दुपहरिया में, उ पूरा गाँव के डेरा रहे।। केहू आराम,केहू बतकूचन,केहू तास खेले। खाली छांहे ना,पूरा मनोरंजन के मेला रहे।। बंसखट बिछाके के सूतला में का आनन्द मिले! गरमी से निजात ,अउर हावा मंद-मंद चले।। बाध-सझुरावल,खाटी-बीनल,कतना निक लागे। गुल्ली- डंटा,छुतुडी़,दोल्हापाती के खेल खूब जमे। अब गांँवे ना हम,ना हमार संगी,ना उ बगईचा बाटे, खाली हमार गांँव,गांँव के उ याद,अउर बगईचा के एहसास बाटे। ******नवीन कुमार पाठक **** ©Kumar Manoj ईमली का बगीचा