एक पहर बित गई, अजां होने को है। एक ओर फ़र्क कजा होने को है।। है एहसास दिल को हर खता कि मगर। बेदार बदबख्त कहां होने को है।। Ak Pahar bit gai ajan hone ko hai Ak or farj kaja hone ko hai Hai ahsas dil ko har khata ki magar Bedar badbakth kahan hone ko hai Adnan Rabbani's Shayari • एक #पहर बित गई, #अजां #होने को है। एक ओर #फ़र्क #कजा होने को है।। है #एहसास दिल को हर खता कि #मगर। बेदार #बदबख्त कहां होने को है।। Ak #Pahar bit gai #ajan hone ko hai Ak or farj kaja hone ko hai