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नज़रों से कह दो की दिन मुस्कुराने के आ गए अश्कों से

नज़रों से कह दो की दिन मुस्कुराने के आ गए
अश्कों से नाता नहीं, दिन हँसने-हँसाने के आ गए

मरासिम है जो तुझसे सनम वो किसी और से नहीं
ख़ूब हुईं तकरारें, दिन मिलने-मिलाने के आ गए

ख़िज़ाओं के  मौसम  में  गुल  ख़िला नहीं करते
दौराँ ये अभी खुदगर्ज़ है, दिन आज़माने के आ गए 

निहाँ है दर्द मुझमें बहुत, कोई दिल चीर कर तो देखे 
दिल  तो  बच्चा  है  मेरा, दिन बहलाने के आ गए

दिल  के  शहर  में   तारीकियाँ  हैं  हर  ओर अब
जबसे  शमाएँ  बुझी  हैं, दिन परवाने के आ गए

ख़ुशियों की तलाश में गुज़ार दी ज़िन्दगी 'सफ़र' ने
उसका वो दिन नहीं आया, दिन ज़माने के आ गए मरासिम- नाता, मेल जोल

♥️ Challenge-609 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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नज़रों से कह दो की दिन मुस्कुराने के आ गए
अश्कों से नाता नहीं, दिन हँसने-हँसाने के आ गए

मरासिम है जो तुझसे सनम वो किसी और से नहीं
ख़ूब हुईं तकरारें, दिन मिलने-मिलाने के आ गए

ख़िज़ाओं के  मौसम  में  गुल  ख़िला नहीं करते
दौराँ ये अभी खुदगर्ज़ है, दिन आज़माने के आ गए 

निहाँ है दर्द मुझमें बहुत, कोई दिल चीर कर तो देखे 
दिल  तो  बच्चा  है  मेरा, दिन बहलाने के आ गए

दिल  के  शहर  में   तारीकियाँ  हैं  हर  ओर अब
जबसे  शमाएँ  बुझी  हैं, दिन परवाने के आ गए

ख़ुशियों की तलाश में गुज़ार दी ज़िन्दगी 'सफ़र' ने
उसका वो दिन नहीं आया, दिन ज़माने के आ गए मरासिम- नाता, मेल जोल

♥️ Challenge-609 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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