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कम्बख्त कौन सोता है रातो में दिए जलते हैं, फिर खु

 कम्बख्त कौन सोता है रातो में 
दिए जलते हैं, फिर खुद ब खुद बुझ भी जाते हैं 
नंगी खाट के रोएँ कभी चुभ भी जाते हैं 
बेसुधी का आलम देखो, इंतजार है जिनका
आते हैं  और आकर चले भी जाते हैं 
यादो का सिलसिला खत्म ही नही होता, 
आँख की बरसातो में, 
कम्बख्त कौन सोता है रातो में
 कम्बख्त कौन सोता है रातो में 
दिए जलते हैं, फिर खुद ब खुद बुझ भी जाते हैं 
नंगी खाट के रोएँ कभी चुभ भी जाते हैं 
बेसुधी का आलम देखो, इंतजार है जिनका
आते हैं  और आकर चले भी जाते हैं 
यादो का सिलसिला खत्म ही नही होता, 
आँख की बरसातो में, 
कम्बख्त कौन सोता है रातो में