मैं भीतर तक का हूँ मुसाफ़िर और तुम खोखले ठहरे जो तुमको पूरा करने में गुम और तुम कहो बावले ठहरे . ख़ुद हो क़ीमत पर तो बाज़ार में शर्म की जरूरत क्या जम के ख़ुद को लुटाते रहे बाज़ार भाव के मामले ठहरे . जो निभाने की बात करते हैं वे दुनिया का इतिहास पढ़ें किन मौक़ों पे कौन से रसिया कहाँ कितने सांवले ठहरे . जाने कौन किसको कब तक कितना पहचानता होगा मैं मुस्कुराता रहता हूँ और तुम कि लबों पे ताले ठहरे . मामले ठहरे