रचना नंबर – 5 “मांँ पिता” अनुशीर्षक में कहते हैं लोग पहला प्यार नहीं भूलता है सच ही तो कहा है पहला प्यार मांँ बाप ही होते हैं नौ महीने मांँ की कोख में पाते हम अपना वजूद पैदा होते ही रोना हंँसना सीख लेते हम उनके माध्यम से ही जीवन का पालनपोषण होता मांँ पिता के ही सहारे जीवन में हम आगे बढ़ते जाते मांँ दिन भर पीछे पीछे घूमती रहती कहती खा लो एक रोटी का निवाला ही सही