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लेखनी का भी एक अजीब नशा है रंग चढ़ जाता तो उतरता

लेखनी का भी एक अजीब नशा है 
रंग चढ़ जाता तो उतरता नहीं है
अजीब भावों का खुमार चढ़ता है
लाख सम्हालो पर सम्हलता नहीं है
लेखनी का भी.....
ये संयोग जिसमें भी बन गया है 
तो और कोई रंग चमकता नहीं है
ज़िंदगी जगे ही स्वप्निल हो जाती है
इसकी कैद से कोई निकलता नहीं है
लेखनी का भी......
इसमें ज़िंदगी का हर रूप दिखता है
इस भाव को हर कोई समझता नहीं है
गज़ब का दर्द उमड़ता है अंतर्मन में
जहां कोई मरहम "सूर्य" लगता नहीं है
लेखनी का भी.....

©R K Mishra " सूर्य "
  #लेखनी_प्रेरणा  Rama Goswami PRIYANK SHRIVASTAVA 'अरमान' Babita Kumari Ayesha Aarya Singh Sunita Pathania

#लेखनी_प्रेरणा Rama Goswami PRIYANK SHRIVASTAVA 'अरमान' Babita Kumari @Ayesha Aarya Singh @Sunita Pathania #कविता

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