खून के रिश्ते बेशक दर्द देते हैं, मग़र दिल के रिश्ते सुकून देते हैं। (कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें) खून के रिश्ते किसी काम के नहीं होते, और दिल के रिश्ते तो बस बेदाम होते हैं। हम हँसना चाहते हैं तो हँस नहीं सकते, रोना चाहते हैं तो रो भी नहीं सकते, चीख-चिल्ला के खुद को जता नहीं सकते, खून के रिश्ते कारण पूछते हैं, बस छुप जाना पड़ता है,