((((( ऐ मेरी जानेमन ))))) ऐ मेरी जानेमन, सपनों में भरकर ले आऊंगा तुझे, अगर तुम नजर लड़ाना छोड़ दो। दिल के आगोश में भर लूंगा तुझे, मुस्कान भरी होश में अपना लूंगा तुझे। नजरे मेरी भी थोड़ी तिरछी हो जाती है, मिलती है जब नजरे,आंखें शर्मा जाती है। ऐ मेरी जानेमन, मैं भी आंखें मिलाना छोड़ दूंगा, अगर तुम नजर मिलाना छोड़ दो।। तमन्नाओं की आग तुम्हारे ख्वाबों को, सुलगती राख कर देगी। दिल में है अगर रिश्तो में प्यार, उगते सूरज भी तुम्हें बाहों में भर लेगी। निकल आओ मन के भंवर से बाहर, बेचैन बैठा हूं मैं तन्हाई में अकेला। उम्र में भी अब छा रहा है अंधेरा, हो जाने दो तुम अभी भी सवेरा। ऐ मेरी जानेमन, मैं भी भंवर में फंसना छोड़ दूंगा, अगर तुम नजर लड़ाना छोड़ दो।। &&&&&&&&&&&&&&&&& प्रमोद मालाकार....31.12.23 ©pramod malakar #ऐ मेरी जानेमन......