आया है बसंत छटा निखरी अब वृक्ष, पुहुप और जीवन की, छाई अद्भुत बेला ये मुस्काई जो धरती मन की, धीरज धर सुर खोजे जो अब आए हैं बनके लय, अंबर हुआ प्रसन्न मेरा स्मृति पाई है जो धन की। #yqdidi #yqhindi #yqpoetry #collab #वसंतपंचमी #ऋतुराज