चाहतों का ये हिसाब अच्छा है हाथों में तेरे गुलाब अच्छा है पढ़ न लें होठों पे मेरा नाम लोग थोड़ा सा ये हिजाब अच्छा है ज़िक्र है सब लबों पे तेरा ही बीच में है शराब अच्छा है मुझ से कैस को फ़क्र है इसपे पागलों का ख़िताब अच्छा है आशिक़ों को मिली सजाएँ हैं इस शहर का नवाब अच्छा है उम्र भर का दिया गया रोना आपका ये हिसाब अच्छा है फिर चुरा ली गईं मेरी ग़ज़लें शायरों का जवाब अच्छा है ©Priyanshu kashyap #poetry #Books