इस तैयार वर्मी कम्पोस्ट को इकठ्ठा करके बोरों में भरकर रख लिया जाता है। डा. नीरज सिंह ने बताया कि वर्मी कंपोस्ट की खाद पौधों की जड़ों का विकास करता हैं। मिट्टी की भौतिक संरचना में सुधार करता हैं।
अंकुरण, पौधों की वृद्धि और फसल की उपज में मदद करता हैं। पौधों के विकास को बढ़ाता है। सुनील कुमार ने बताया कि वर्मी कम्पोस्टिंग किसानों को बाजार से उर्वरकों को खरीदने के लिए पैसे खर्च को बचाता है। पांच दिवसीय प्रशिक्षण के समय केंद्र के समस्त कर्मचारी अनिल पांडेय, राजीव कुमार, संजय पाण्डेय, सिराज, चंद्र प्रकाश एवं बागेश्वरी उपस्थित थे। #न्यूज़