किसी को बहोत चाहना ये मोहब्बत नहीं, ऊसकी ज़ात के ऊन तमाम पहलुओं पर , खरा ,ऊतर जाना , ऊसे ज़ेहनी,और दिली तौर पे तस्लिम करना , ये असल मुहब्बत है। ©Adnan Ahmad ज़ेहनी ,( दिमागी तौर पर ) तस्लीम ( भरोसा करना ,मान लेना ) मुहब्बत ।