पूरी हो जाये सब की आरजू , इसी जुस्तजू में , मैं बन गया घूंघरू ..... किसी को हंसाने को , कभी किसी के गम भूलाने को , मैँ खुद व खुद बज गया .... जब भी कोई महफ़िल सजी , मैं खंखनाकर सज गया ......... Ghunghroo