औरो के लिये ज्ञान का सागर है खुद रीता है कहा छोड़ दे हानिकारक विष खुद पीता है टिका न कोई अभिमान के आगे पढ़ी गीता है मृत मृदा सा जानकर बेहोश मौत जीता है अजय जैन अविराम औरों के लिये