Nojoto: Largest Storytelling Platform

लड़कियाँ : हिन्दुस्तान की """"""""""""""""""""" पह

लड़कियाँ : हिन्दुस्तान की
"""""""""""""""""""""
पहले-पहल परख करवाईं, मेरे तन के संदर्भ में
फिर करी कोशिश तुमने, मुझे मारने की गर्भ में
गर फिर भी बचकर आईं अपनी माँ की कोख से
फेंक दिया जंगल में मुझको, रोते-बिलखते दर्भ में
आत्माएं क्या सबकी जाकर बैठ गई शमशान में
लड़कियाँ महफ़ूज नहीं क्यूँ, अपने हिन्दुस्तान में

धीरे-धीरे उम्र बढ़ी जो, तन तरुणाई छाने लगी
गुजरते लोगों की नजरें, मन घृणा बरपाने लगी
बदनीयत से छुआ किसी ने, ताना कोई मार गया
जीवन नर्क लगने लगा, शर्म जीने में आने लगी
लड़के हो बदहोश रहते, जाने किस अभिमान में
लड़कियाँ महफ़ूज नहीं क्यूँ, अपने हिन्दुस्तान में

लेकर कर्जा मात-पिता ने, ब्याही बिटिया चाव से
ख़ूब कीं मनुहार किन्तु टक्का न गिरा तय भाव से
पीट-पीटकर कहते मुझको, और लाओ दहेज़-धन
ला न सकी पीहर से कुछ तो जला दिया मुझे ताव से
बाप बेचारा सोचता, क्या कमी रही कन्यादान में
लड़कियाँ महफ़ूज नहीं क्यूँ, अपने हिन्दुस्तान में

संग अन्याय की गाथा तो, युग-युग से चलती आई
कभी जुए में हार गए, कभी अग्निपरीक्षा दिलवाई
भरी सभा में की गई थी कोशिश निर्वस्त्र करने की
मुझको दाँव पर लगते देखा, शर्म भी खुद शरमाई
अपमानित होना ही बस लिखा हैं विधि-विधान में
लड़कियाँ महफ़ूज नहीं क्यूँ, अपने हिन्दुस्तान में

हमने भी देश सम्भाला, हम भी राष्ट्र की प्राचीर बनी
पड़ी जरूरत जब देश को, अस्त्र-शस्त्र शमशीर बनी
सरोजनी, लक्ष्मीबाई हम, हम इन्दिरा मदर टेरेसा हैं
सुभद्रा, महादेवी प्रमाण हम साहित्य की तहरीर बनी
पन्नाधाय का त्याग पढ़ो तुम, दिया पुत्र बलिदान में
लड़कियाँ महफ़ूज नहीं क्यूँ, अपने हिन्दुस्तान में

✍ आदित्य राज छत्रपति 'अंस' #NojotoQuote #Mypoetry149 #stop_violence_against_girls
#लड़कियाँ_हिन्दुस्तान_की
#feminism
लड़कियाँ : हिन्दुस्तान की
"""""""""""""""""""""
पहले-पहल परख करवाईं, मेरे तन के संदर्भ में
फिर करी कोशिश तुमने, मुझे मारने की गर्भ में
गर फिर भी बचकर आईं अपनी माँ की कोख से
फेंक दिया जंगल में मुझको, रोते-बिलखते दर्भ में
आत्माएं क्या सबकी जाकर बैठ गई शमशान में
लड़कियाँ महफ़ूज नहीं क्यूँ, अपने हिन्दुस्तान में

धीरे-धीरे उम्र बढ़ी जो, तन तरुणाई छाने लगी
गुजरते लोगों की नजरें, मन घृणा बरपाने लगी
बदनीयत से छुआ किसी ने, ताना कोई मार गया
जीवन नर्क लगने लगा, शर्म जीने में आने लगी
लड़के हो बदहोश रहते, जाने किस अभिमान में
लड़कियाँ महफ़ूज नहीं क्यूँ, अपने हिन्दुस्तान में

लेकर कर्जा मात-पिता ने, ब्याही बिटिया चाव से
ख़ूब कीं मनुहार किन्तु टक्का न गिरा तय भाव से
पीट-पीटकर कहते मुझको, और लाओ दहेज़-धन
ला न सकी पीहर से कुछ तो जला दिया मुझे ताव से
बाप बेचारा सोचता, क्या कमी रही कन्यादान में
लड़कियाँ महफ़ूज नहीं क्यूँ, अपने हिन्दुस्तान में

संग अन्याय की गाथा तो, युग-युग से चलती आई
कभी जुए में हार गए, कभी अग्निपरीक्षा दिलवाई
भरी सभा में की गई थी कोशिश निर्वस्त्र करने की
मुझको दाँव पर लगते देखा, शर्म भी खुद शरमाई
अपमानित होना ही बस लिखा हैं विधि-विधान में
लड़कियाँ महफ़ूज नहीं क्यूँ, अपने हिन्दुस्तान में

हमने भी देश सम्भाला, हम भी राष्ट्र की प्राचीर बनी
पड़ी जरूरत जब देश को, अस्त्र-शस्त्र शमशीर बनी
सरोजनी, लक्ष्मीबाई हम, हम इन्दिरा मदर टेरेसा हैं
सुभद्रा, महादेवी प्रमाण हम साहित्य की तहरीर बनी
पन्नाधाय का त्याग पढ़ो तुम, दिया पुत्र बलिदान में
लड़कियाँ महफ़ूज नहीं क्यूँ, अपने हिन्दुस्तान में

✍ आदित्य राज छत्रपति 'अंस' #NojotoQuote #Mypoetry149 #stop_violence_against_girls
#लड़कियाँ_हिन्दुस्तान_की
#feminism