क्या तुम नहीं जानते हो, मेरे दिल के हालात सनम। मुश्किल से ही संभलते है, आजकल जज्बात सनम। दिन भर मायूसी, रात उदासी, कैसी हालत हो गई। क्यूँ रोके नहीं रुकते हैं, लोगों के सवालात सनम। हर मौसम वीराना लगता, क्या बसंत बहार सनम। मुझको तो हरपल रुलाती, है अब ये बरसात सनम। झर-झर बहते अश्कों के, सैलाब अब कौन संभाले। होठों की मुस्कान खो गई, जाने क्या हुई बात सनम। तन्हा-तन्हा दिन बीते है, तन्हाई में बीते ये रात सनम। खैरख्वाह न कोई लेता मेरी, न किसी का साथ सनम। तुझ बिन मेरा जीना जैसे, पतझड़ की हो बात सनम। तुझ बिन आँखें ऐसे बरसी, सावन में हो बरसात सनम। ♥️ Challenge-973 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।