White अब ना होती काम की इच्छा ना दौलत ना नाम की इच्छा..! जैसे-जैसे ढ़ले जवानी वैसे हो आराम की इच्छा..! ना कोई अभिमान की इच्छा ना झूठे सम्मान की इच्छा..! धीरे-धीरे समझ आ रही बे-मतलब इंसान की इच्छा..! ना जीवन अनमोल की इच्छा अंतर के पट खोल की इच्छा..! झूठ कपट छल छिद्र छोड़ के सबसे मीठे बोल की इच्छा..! ना छप्पन पकवान की इच्छा धर्म-कर्म जप दान की इच्छा..! अब केवल सदज्ञान सुहावे कैसे हो निर्वाण की इच्छा..! ©Adv. Rakesh Kumar Soni (अज्ञात) #इच्छा