गज़ल रोज हमरा के देलू जहर ज़िन्दगी तू त बाड़ू अजब हमसफ़र ज़िन्दगी डेगे डेगे पे लाग ता ठेस्वा इहाँ बड़ कठिन बा ई जीवन डगर ज़िन्दगी रूप सुंदर बा कितना, कहे हर कोई आव तोहर उतारीं नज़र ज़िन्दगी रात रानी इहां कवनो कइसे खिले तोहरा अंगना में बा दुपहर ज़िन्दगी साथ तोहरा से छूटे ना कबहूं हमार मांगिले ई दुआ हर पहर ज़िन्दगी हम निभावत रहब तोहसे हरदम वफ़ा तू हो फिरिह ना हमसे नज़र ज़िन्दगी "आरती" हंसते हंसते मिलइहन नज़र मौत के कर द तू ई खबर ज़िन्दगी।। - जयचंद कुमार। गज़ल रोज हमरा के देलू जहर ज़िन्दगी तू त बाड़ू अजब हमसफ़र ज़िन्दगी डेगे डेगे पे लाग ता ठेस्वा इहाँ बड़ कठिन बा ई जीवन डगर ज़िन्दगी