तुम्हारे बिना मैं कितना अकेली हूं नहीं कह सकती मगर तुम्हारे बिना मैं जब अकेली चप्पल देखती हूं तो गीत चतुर्वेदी याद आते हैं, कहते हुए "तुम्हारे बिना उतना ही अकेला हूँ जितना एक पैर की चप्पल।" फिर लगता है जैसे एक पांव की चप्पल हाथ में लिए ढूंढ रही हूं तुम्हें किसी रोज़ आओ कि दोनों पैरों में चप्पलें डाले कर चल पड़ूं तुम्हारे साथ या कि तुम बैठना चाहो तो बैठ ही जाऊं सुकून से और रख दें कभी कांधा एक दूसरे के कांधे जैसे रख दी हो एक चप्पल दूसरे के साथ टिकाकर। #chaurahesehokar #चौराहेसेहोकर #geetchaturvedi #याद #आजाओ #लौटकर #तुम #waitingforyou