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किसानों का दर्द सिर पटक कर मर रहे जीवन के लिए कुछ

किसानों का दर्द
सिर पटक कर मर रहे
जीवन के लिए कुछ कर रहे
प्रताड़ित है अवहेलना से
सरकार के टरटेलना से
मगर जीवन के लिए खेती कर रहे
उनके लिए कर रहे नौकरी
उनका है करोड़ों का मकान
लेकिन उन्हीं किसानों का
मकान में पड़ा व्यवधान
सबको रोटी खिलाने वाला
सुख से नहीं खा पा रहा निवाला
हर कष्ट को झेलने के बाद भी
वह हर कष्ट में भी अपनी नेकी कर रहे
हां किसान सिर पटक कर मर रहे।

©IG @kavi_neetesh
  #farmersprotest 
 कुमार विश्वास की कविता देशभक्ति कविता बारिश पर कविता प्यार पर कविता हिंदी कविता

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