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मै-तुम,तुम्हारा-मेरा,मेरी जरूरत-तुम्हारी जरूरत मै

मै-तुम,तुम्हारा-मेरा,मेरी जरूरत-तुम्हारी जरूरत
मै जरूरी या तुम जरूरी?मेरे लिए वो जरूरी
जो मेरा है पर जिसकी जरूरत है,
चाहत है वो तो तुम हो,और तुम हो
तो फिर मै कहां हूं?और फिर इस तुम मे मेरा क्या है?
ये सवाल जवाब के भवंडर में कब समंदर की
गहराई हवा हो गई,पता ही नही चला।जब तक प्रेम
था दिल मे बड़ा अच्छा लिखती थी मै।पर अब जाने 
क्यूं मेरा दिल खाली सा हो गया।उम्मीद मर गई जज्बात थोड़े जिंदा रहे।
सवाल फिर इसका भी बना की क्यों इस मै का तुम हिस्सा रहे।
अब सवाल भी मेरा था और जवाब भी 
मुझे ही देना था।तब एक आवाज़ आई की हमेंशा से 
मै ही तो थी,ये तुम तो बस एक जरूरत थी।
जो वक्त के साथ बदलती रही इस तुम के चेहरे जाने कितनी बार बदले,
पर आखिर में सुई एक तुम पर आकर अटक गई।
वो तुम जिसे मै मेरा कहती थी वो तुम जिसमे मै भूल गई की उसकी भी एक दुनिया है।
वो भले ही मेरा है,पर मै तो उसकी नही हूं ना।जरूरतें उसकी भी हजार है,मै भी एक बनू ये जरूरी है क्या।
फिर सबके बीच मे भी जब उसकी जरूरत महसूस हुई तो लगा मुझे उसकी जरूरत है पर वो नही आया, 
और फिर आखिर मे मेरे साथ सिर्फ मेरी मुस्कान थी बेवजह ही मुकुराना शायद उसकी याद में हर पल इंतजार करने से बहुत बेहतर था।मेरे लिए "मै" और "तुम" थोड़ा थोड़ा सब ही जरूरी था।— % & Never regret accha bura sab jarure tha!!

मै कभी संक्षिप्त में क्यों नही लिख सकती यार।😩

Thanks for poke @Animesh sah mention nahe hore... koe na aahe jayenge.
Sorry for so late....I was quite busy...😅
And dimag was also empty...😂😂
मै-तुम,तुम्हारा-मेरा,मेरी जरूरत-तुम्हारी जरूरत
मै जरूरी या तुम जरूरी?मेरे लिए वो जरूरी
जो मेरा है पर जिसकी जरूरत है,
चाहत है वो तो तुम हो,और तुम हो
तो फिर मै कहां हूं?और फिर इस तुम मे मेरा क्या है?
ये सवाल जवाब के भवंडर में कब समंदर की
गहराई हवा हो गई,पता ही नही चला।जब तक प्रेम
था दिल मे बड़ा अच्छा लिखती थी मै।पर अब जाने 
क्यूं मेरा दिल खाली सा हो गया।उम्मीद मर गई जज्बात थोड़े जिंदा रहे।
सवाल फिर इसका भी बना की क्यों इस मै का तुम हिस्सा रहे।
अब सवाल भी मेरा था और जवाब भी 
मुझे ही देना था।तब एक आवाज़ आई की हमेंशा से 
मै ही तो थी,ये तुम तो बस एक जरूरत थी।
जो वक्त के साथ बदलती रही इस तुम के चेहरे जाने कितनी बार बदले,
पर आखिर में सुई एक तुम पर आकर अटक गई।
वो तुम जिसे मै मेरा कहती थी वो तुम जिसमे मै भूल गई की उसकी भी एक दुनिया है।
वो भले ही मेरा है,पर मै तो उसकी नही हूं ना।जरूरतें उसकी भी हजार है,मै भी एक बनू ये जरूरी है क्या।
फिर सबके बीच मे भी जब उसकी जरूरत महसूस हुई तो लगा मुझे उसकी जरूरत है पर वो नही आया, 
और फिर आखिर मे मेरे साथ सिर्फ मेरी मुस्कान थी बेवजह ही मुकुराना शायद उसकी याद में हर पल इंतजार करने से बहुत बेहतर था।मेरे लिए "मै" और "तुम" थोड़ा थोड़ा सब ही जरूरी था।— % & Never regret accha bura sab jarure tha!!

मै कभी संक्षिप्त में क्यों नही लिख सकती यार।😩

Thanks for poke @Animesh sah mention nahe hore... koe na aahe jayenge.
Sorry for so late....I was quite busy...😅
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