जब दो समुद्र मिलते हैं बहुत वक्त तक खींचतान करते हैं अपने होने की, फिर कुछ समय बाद विलीन हो जाते हैं एक दूजे में, धीरे-धीरे एक दूजे की कमीया अपनाते हैं खट्टी मीठी नोकझोंक से कुछ अलग ही आयाम बनाते हैं, भागीरथी और अलकनंदा आती हैं दो अलग-अलग पहाड़ों से बहकर,, और देवप्रयाग में उनका समागम होता है,,, बहुत दूर तक वो एक दूजे से अकड़ कर चलती हैं टकराकर चलती हैं,,, एक का रंग थोड़ा मटमैला एक का थोड़ा नीला सा हरा सा,,, जैसे कहती होंगी कि मैं तो इतनी सुंदर साफ तू इतनी मठमैली,,,