मोहब्बत है क्या चीज़ कभी हक से चुप-चाप हमारे पास चली आती है हमें हँसाती है आसमान मे उड़ने की चाहत जगाती है अपनेपन का अहसास दिलाती है फिर एक दिन बिन शहनाई ब्याह ले जाती है हमे हमसे चुरा कर हमारे दिल मे घर बनाती है और इक दिन खुद से ही जुदा कर देती है ना अपना बनाती है न खुद का होने देती है इस जिंदगी के रेगिस्तान मे बिना मंजिल के भटकने के लिये छोड़ जाती है और कहती है "तुम प्यार नहीं दोस्त हो " ❤️💓💗💞💕💔