सुकून की तलाश में, पगला इंसान, दर-बदर, भटके जा रहा है, और सुकून, उसी के मन में बैठा..... मुस्कुराए जा रहा है। अपने सुकून का है वह खुद ज़िम्मेदार, पर इसका बोझ, दूसरों पर डाले जा रहा है, दूसरों से मिलेगी खुशी, सुकून, यही उम्मीद लिए जिए जा रहा हैं। नासमझ इंसान, बाहरी दुनिया में फस, खुद ही, अपनी ज़िंदगी, पेचीदा, बनाए जा रहा है। थोड़ा खुद पर भी भरोसा करे, क्यों खुद को कम आंके जा रहा है। सच में, एक बार देखे तो...अंतरमन, सब सवालों का जवाब लिए, इंतज़ार किए जा रहा है। #सुकून#अंतरमन